नई दिल्ली: टेक जगत में उस समय हड़कंप मच गया जब यह खबर सामने आई कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) से पढ़े एक युवा उद्यमी ने Google Chrome, दुनिया के सबसे लोकप्रिय वेब ब्राउज़र में से एक, को खरीदने के लिए अरबों डॉलर का प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव किसी और ने नहीं, बल्कि AI स्टार्टअप Perplexity AI ने दिया है, जिसके सह-संस्थापक और सीईओ आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र अरविंद श्रीनिवास हैं। यह चौंकाने वाला प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब Google अमेरिका में एक गंभीर एंटीट्रस्ट कार्यवाही का सामना कर रहा है, जिससे कंपनी पर अपने कुछ प्रमुख उत्पादों को बेचने का दबाव बढ़ गया है।
एक चौंकाने वाला प्रस्ताव: $34.5 बिलियन में Chrome?
Perplexity AI ने Google Chrome को खरीदने के लिए $34.5 बिलियन (लगभग 2.8 लाख करोड़ रुपये) का भारी-भरकम प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव न केवल तकनीकी समुदाय में, बल्कि आम जनता के बीच भी गहरी जिज्ञासा और चिंता का विषय बन गया है। अधिकांश Android यूज़र्स और दुनिया भर के इंटरनेट उपयोगकर्ता Google Chrome पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं, और ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर Google जैसी विशाल कंपनी को अपने सबसे सफल और व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले उत्पादों में से एक को बेचने की नौबत क्यों आ रही है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, Perplexity AI ने यह प्रस्ताव मंगलवार की सुबह Google को भेजा। कंपनी ने स्पष्ट किया है कि इस महत्वाकांक्षी डील को पूरा करने के लिए वह बाहरी निवेशकों से फंडिंग हासिल करेगी। यह पहली बार नहीं है जब किसी AI कंपनी ने Chrome में इतनी दिलचस्पी दिखाई हो; इससे पहले OpenAI ने भी इस ब्राउज़र को खरीदने में अपनी रुचि व्यक्त की थी, जो वेब ब्राउज़िंग के क्षेत्र में AI कंपनियों की बढ़ती महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।
Google की मजबूरी: एंटीट्रस्ट कार्यवाही का शिकंजा
Google पर यह गंभीर आरोप है कि वह ऑनलाइन सर्च और विज्ञापन के बाज़ार में अपनी कथित मनमानी करता है, प्रतिस्पर्धा को दबाता है, और एकाधिकार स्थापित करने का प्रयास करता है। पिछले साल, एक अमेरिकी न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा था कि Google ऑनलाइन सर्च में गैर-कानूनी तरीके से अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता है। इसके बाद, अमेरिकी सरकार ने यह सुझाव दिया था कि कंपनी को Chrome जैसे अपने कुछ प्रमुख उत्पादों को बेच देना चाहिए और अन्य कंपनियों को भी अपने सर्च डेटा का उपयोग करने की अनुमति देनी चाहिए ताकि बाज़ार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बनी रहे।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि Google पर चल रही एंटीट्रस्ट कार्यवाही के दबाव के कारण ही उसे Chrome ब्राउज़र बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। यदि अमेरिकी सरकार भविष्य में Google Chrome को बेचने का आदेश देती है, तो Perplexity का यह प्रस्ताव Google के लिए एक संभावित निकास मार्ग (exit route) प्रदान कर सकता है। यह स्थिति Google के लिए एक बड़ा रणनीतिक बदलाव हो सकता है, क्योंकि Chrome न केवल एक ब्राउज़र है, बल्कि यह Google के विशाल ऑनलाइन इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार (gateway) भी है।
Perplexity AI क्या है और इसकी योजनाएँ क्या हैं?
Perplexity AI एक AI-संचालित सर्च इंजन कंपनी है, जिसकी स्थापना दिसंबर 2022 में अरविंद श्रीनिवास, डेनिस यास, जॉनी हो और एनडी कोवि जैसे विशेषज्ञों ने की थी। अरविंद श्रीनिवास, जो कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ हैं, ने आईआईटी मद्रास से बीटेक की डिग्री हासिल की है, जिससे यह डील भारतीय तकनीकी प्रतिभा की वैश्विक पहचान का एक और उदाहरण बन जाती है।
Perplexity AI का मानना है कि वेब ब्राउज़र एक ऐसा महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है जहाँ AI एजेंट लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग, सूचना खोज और अन्य कार्यों में प्रभावी ढंग से मदद कर सकते हैं। कंपनी पहले से ही “कोमेट” (Comet) नामक एक नए ब्राउज़र को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है, जिसमें एक एकीकृत AI एजेंट होगा जो उपयोगकर्ताओं की सहायता करेगा। Google Chrome को खरीदने का उनका प्रस्ताव इसी बड़े विज़न का एक हिस्सा है – एक ऐसा विज़न जहाँ AI सीधे ब्राउज़िंग अनुभव का केंद्र बिंदु बन जाता है।
Perplexity AI ने यह भी वादा किया है कि अगर यह डील होती है तो वह चुपके से Chrome में कोई अनधिकृत बदलाव नहीं करेगी। यह आश्वासन शायद उपयोगकर्ताओं और नियामकों के विश्वास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा, खासकर जब किसी लोकप्रिय उत्पाद के स्वामित्व में बदलाव होता है।
AI और ब्राउज़र का बढ़ता संबंध
वर्तमान में, AI कंपनियाँ वेब ब्राउज़रों में गहरी रुचि दिखा रही हैं। वे ब्राउज़रों को सिर्फ़ इंटरनेट सर्फ करने का माध्यम नहीं मानतीं, बल्कि उन्हें AI-संचालित सहायक (assistants) के लिए एक संभावित आधार मानती हैं। उनका मानना है कि ब्राउज़र के माध्यम से AI एजेंट उपयोगकर्ताओं को सामग्री खोजने, निर्णय लेने और यहाँ तक कि ऑनलाइन खरीदारी जैसी जटिल प्रक्रियाओं में भी व्यक्तिगत सहायता प्रदान कर सकते हैं। यह AI को सीधे उपभोक्ता के दैनिक डिजिटल जीवन में एकीकृत करने का एक तरीका है।
Google Chrome और इसका ओपन-सोर्स संस्करण, क्रोमियम, लोगों के कंप्यूटर पर इंटरनेट का उपयोग करने के सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक रहे हैं। उनका व्यापक उपयोग AI कंपनियों के लिए एक विशाल उपयोगकर्ता आधार और डेटा तक पहुंच प्रदान करता है, जो AI मॉडल के विकास और सुधार के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
आगे क्या? Google का निर्णय और उद्योग पर प्रभाव
अब गेंद Google के पाले में है। उसे Perplexity AI के प्रस्ताव का जवाब देना होगा, और यह निर्णय कंपनी के भविष्य और ऑनलाइन सर्च बाज़ार के लिए दूरगामी परिणाम वाला हो सकता है। यदि Google Chrome को बेचता है, तो यह एंटीट्रस्ट दबाव को कम करने और प्रतिस्पर्धा नियामकों को शांत करने में मदद कर सकता है। हालांकि, यह Google के लिए एक बड़ा रणनीतिक बलिदान भी होगा, क्योंकि Chrome ने कंपनी को अपने खोज इंजन और विज्ञापन सेवाओं के लिए एक विशाल पाइपलाइन प्रदान की है।
दूसरी ओर, यदि Google यह प्रस्ताव ठुकराता है, तो उसे एंटीट्रस्ट कार्यवाही में और भी कड़े उपायों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें संभावित रूप से न्यायालय द्वारा बिक्री का आदेश भी शामिल है। यह पूरा घटनाक्रम इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि कैसे AI प्रौद्योगिकी केवल नए उत्पाद नहीं बना रही है, बल्कि मौजूदा तकनीकी दिग्गजों की संरचना और रणनीतियों को भी चुनौती दे रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि AI का यह बढ़ता प्रभाव वेब ब्राउज़िंग के भविष्य और तकनीकी उद्योग के प्रतिस्पर्धात्मक परिदृश्य को कैसे बदलता है।
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